Maharana Pratap Jayanti 2023 – 22 मई को पुरे भारत में महाराणा प्रताप जयंती के रूप में मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन 22 मई, 1540 को हमारे देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी, महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ दुर्ग (पाली) में हुआ था और जाती से वो एक राजपूत थे। महाराणा प्रताप राजस्थान के रजवाड़ों में से एक थे लेकिन इस से भी ऊपर वो हमारे देश के एक वीर सपूत और महान योद्धा थे।
महाराणा प्रताप जन्म से ही साहस के धनी थे और उन्होंने बचपन में अपनी मां से ही युद्ध कौशल सीखना शुरू कर दिया था। भारत के इतिहास का सबसे रोमांचित करने वाला हल्दीघाटी का युद्ध आज भी देशप्रेमियों के रगों में उबाल ला देता है। इतिहास में दर्ज हल्दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप के शौर्य की एक अदभुत गाथा कहता है। तो आईये आज 22 मई 2023 को हम सब मिलकर देश के उस वीर को याद करें और महाराणा प्रताप जयंती 2023 मनाएं।
Maharana Pratap Jayanti 2023
Maharana Pratap Jayanti 2023 – हल्दीघाटी का वो कभी नहीं भूलने वाला विनाशकारी युद्ध उदयपुर, मेवाड के राजा महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया। बहुत से देशप्रेमी महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी का नायक (Haldighati Ka Hero) भी कहते हैं। महाराणा प्रताप जयंती 2023 केवल एक देश के नायक को याद करने का दिन नहीं है अपितु ये दिन है देशप्रेम के लिए मर मिटने वाले जज्बे के साथ-साथ अदम्य साहस को याद करने का। महाराणा प्रताप महाराजा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कंवर की संतान थे और माता पिता बचपन और युवावस्था में उन्हें कीका नाम से पुकारते थे। महाराणा प्रताप को कीका नाम भीलों ने दिया था जिनके साथ उन्होंने अपना शुरुआती समय बिताया था। भीलों की बोली में कीका का अर्थ होता है – ‘बेटा’।
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हल्दीघाटी का युद्ध के साथ ही जो एक और प्रसिद्ध नाम जुड़ा है वो है ‘चेतक’ जो की महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा था। हल्दीघाटी के युद्ध में अपने स्वामी महाराणा प्रताप की तरह ही प्रताप की वीरता का भी साक्षी ये पूरा देश बना था। प्रताप की वीरता के साथ ही सामानांतर चलता है चेतक की वीरता, फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी का जिक्र। हल्दीघाटी के युद्ध में ही चेतक वीरगति को प्राप्त हुआ था।
भारत के इतिहास में जो टक्कर मुगलों को राणा प्रताप ने दी थी वो शायद ही किसी ने दी थी और ये एक शुरुवात भी थी उस जज्बे की जिसने मुगलों जिसे निर्दयी आक्रमणकारियों को भी खदेड़ने का काम किया। 1582 में दिवेर के युद्ध में राणा प्रताप ने कभी मुगलों के हाथों गंवाए क्षेत्रों पर फिर से कब्जा जमा लिया था। आखिरकार एक लम्बे संघर्ष के बाद राणा ने मेवाड़ को मुक्त करवा ही लिया।
Maharana Pratap Jayanti 2023 Quotes, Messages, WhatsApp Status
Maharana Pratap Jayanti 2023 Wishes Quotes WhatsApp Status In Hindi – महाराणा प्रताप द्वारा मुगलों से लड़ी गयी कई लड़ाईओं में सबसे ऐतिहासिक लड़ाई थी- हल्दीघाटी का युद्ध। इस युद्ध में सामना हुआ था मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना से। 1576 में हुए इस कभी न भूले जाने वाले जबरदस्त युद्ध में करीब 20 हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने 80 हजार मुगल सैनिकों का सामना किया। इसी युद्ध में महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक जख्मी हुआ था और वो यह युद्ध हार गए थे जिसके बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया था।
1596 में शिकार खेलते समय लगी चोट से नहीं उबर पाने के कारन 9 जनवरी 1597 को सिर्फ 57 वर्ष की आयु में चावड़ देश के सबसे पड़े वीर का देहांत हो गया।
आपको बता दे मित्रों महाराणा प्रताप जिस भले से युद्ध किया करते थे उसका कुल वजन 81 किलो था और इसके साथ ही उनके छाती के कवच का वजन 72 किलो का था। इस तरह भाले, कवच, ढाल और दो तलवारों के साथ उनके अस्त्र और शस्त्रों का वजन 208 किलो था।
मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान
उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है।
अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए।
प्रत्येक मनुष्य का गौरव एवं आत्मसम्मान
उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है।
अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए।
जो मनुष्य अपने कर्तव्य और इस सृष्टि
के कल्याण के लिए सदैव प्रयत्नरत रहता है,
उस मनुष्य को युग युगांतर तक स्मरण रखा जाता है।
जो इंसान अपने और अपने
प्रियजनों के अलावा अपने देश के बारे में भी सोचता है,
वही इंसान देश का सच्चा नागरिक होता है।
अन्याय, अधर्म आदि का विनाश
करना संपूर्ण मानव जाति का कर्तव्य है।
मुझे उस देश में जन्म लेने पर गर्व महसूस होता है जो महाराणा प्रताप का भी है…. महाराणा प्रताप जयंती की बहुत बहुत बधाई। आइए आज उनमें से एक को मनाते हैं। महाराणा प्रताप जयंती 2023 की शुभकामनाएं!
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